Mar 3, 2024

 मेरठ निवासी श्री संतराम पाण्डेय जी जिन्हें पत्रकारिता का 40 वर्षों का अनुभव है साथ ही आप एक अच्छे व्यंग्यकार, कहानीकार और कवि भी है। इन सब से महत्वपूर्ण बात यह है कि आप शानदार और प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी भी हैं‌ और दिल से धनी मानव ही समाज में अच्छे विचारों, अपनत्व एवं सकारात्मकता का सम्प्रेक्षण कर सकता है।

सर्वविदित है कि साहित्य समाज का प्रतिनिधित्व करता है और इसकी जन्मस्थली मानवहृदय में उठने वाले विचारों हैं । अपने इर्द-गिर्द की घटनाओं से प्रभावित होकर  एक संवेदनशील मन अपनी भावनाओं को प्रकट करने के लिए क़लम को पतवार और पन्नों को नोका बना कर सुखद तट की आशा से साहित्य रचता है ।

 श्री संतराम पाण्डेय जी ने अपने मनोभावों को काव्य रूप में संग्रहीत किया है।काव्य रचनाओं में छंद बद्य , छंद मुक्त, गीतियां , दोहा, ग़ज़ल, हाइकू, पिरामिड और विचार कविताएं सम्मिलित  हैं। सर्वविदित है कि वही भाषा लोकप्रिय और मानव हृदय में घर कर पाती है जो  जटिलता से सरलता की ओर बड़ी है। श्री संतराम पाण्डेय जी की कविताओं का  इंद्रधनुष भी सरलतम हृदय के भावुक मनोभाव हैं जो जीवन के गहन तजुर्बा के परिणाम स्वरूप उपजे हैं जो हमें सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं ।

 यह काव्य संग्रह मानव जीवन से सरोकार रखने वाले सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को छूता है, एक इंसान की अमुल्य निधि उसका परिवार , रिश्ते नाते,  और नैतिक मूल्य होते हैं यह संग्रह ऐसी भावनाओं  का सटीक विश्लेषण करता है। 

कहते हैं साहित्य समाज का दर्पण होता है वहीं यह कहना भी अतिशयोक्ति नहीं होगी कि कवि ह्रदय में उपजे विचार कवि के व्यक्तित्व का दर्शन है। इस काव्य संग्रह को पढ़कर महसूस किया जा सकता है कि लेखक  देश के प्रति पूर्व समर्पण का भाव रखते हुए सर्वहितकारी भावना से जनमानस की सेवा को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं।

श्री संतराम पाण्डेय जी का यह काव्य संग्रह  40 बेहतरीन कविताओं से सजा सहेने योग्य वाटिका है जो हमें अपनी माटी से जुड़े रहने की सीख देकर समझाना चाहता है कि खिलने, महकने और जीवंत रहने का यही मूल मंत्र है ।


हिमाद्री 'समर्थ'

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