लगता है कि
यह मेरा ही
घर है
वही जो काफी
पहले कही गम गया था
अब आकर
मिला दुबारा
मेरे अपनों के साथ
मेरा अपना घर।
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आज काफी दिनों बाद कुछ लिखने का मन हुआ। हमारे शहर में भीड़ बढ़ गई है। कारन में भी नही समझ पाया। केवल एक बात समझ में आती है की आने जाने की जो जगह है वह घिर रही है। एक तो जगह ही कम है ऊपर से कब्जा।जब हर कोई सड़क ही कब्ज़ा लेगा तो कैसे चलेगे लोग। यह बात तो हर किसी को समझनी चाहिए। चेते तो पछताना ही पड़ेगा।
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