Jun 23, 2020

मेरे प्यारे बड़े भैया

मेरे प्यारे बड़े भैया

आओ आओ आज मिलाती हूँ मैं
सबको उनसे जिन्हें कहती हूँ मैं
यारों प्यार से बड़े भैया।

उनके चहरे पर रहती है हरदम
बड़ी ही प्यारी सी मुस्कान,
नज़र लगे ना, कभी किसी की
मेरे प्यारे बड़े भैया को,
सदा चहरे पे खिलती रहे उनके
ये प्यारी प्यारी-सी मुस्कान।

हर एक का ही वे करते हैं आदर
कभी ना करते वे किसी का अनादर,
हर रचनाकार का रहता है यारों
मेरे बड़े भैया को सदा खयाल
हम सभी रचनाकारों के साथ-साथ
नवांकुरों का भी रहता है यारों,
मेरे बड़े भैया को सदा खयाल।

नए-पुराने सभी रचनाकारों की
एक से बढ़कर एक रचनाओं को
"विजय दर्पण टाईम्स" में कर वे
प्रकाशित हम सब को जग में
ऊँचा स्थान व सम्मान दिलाते हैं,

समय-समय वे अपने लेखों व
रचनाओं द्वारा हम सबका ही
मार्गदर्शन करते रहते हैं, अपने
विनम्र स्वभाव और मीठी बोली
से सबके दिलों में घर कर जाते हैं
ऐसे हैं यारों मेरे प्यारे बड़े भैया।

दुआ करती हूँ मैं अपने रब से
वे रहें सलामत सदा ही जग में
और मिलें वे मुझको हर जनम में
बड़े भैया के ही रूप में,
मैं कहती हूँ जिनको प्यार से बड़े भैया
वो कौई और नहीं हैं यारों, वे तो हैं हमारे
आदरणीय "श्री संतराम पाण्डेय" जी।

रौशनी अरोड़ा "रश्मि"