Nov 4, 2016

शहर पर लग रहा है अतिक्रमण और जाम का बदनुमा दाग

-संतराम पाण्डेय-
शहर में मुख्य सडकों पर जाम व अतिक्रमण की समस्या विकट हो चली है। जाम व अतिक्रमण की जद में शहर की मुख्य सडकें हांफ रही हैं। बाजार बेरौनक हो चले हैं। छोटे दुकानदारों की बात करें या फिर बडे व्यापारियों की, सभी ने अपने स्तर पर सडक के किनारे फुटपाथ की जगहों को पाट कर रख दिया है। सडकें कम दुकानें ज्यादा दिखाई पडती हैं। रोजाना ही हम मेरठवासियों को शहर के जाम से दो-चार होना पडता है। बात बेगमपुल, हापुड रोड या फिर दिल्ली रोड की हो, सभी जगह जाम, अतिक्रमण अवैध कब्जों से हाल बेहाल है। पुलिस-प्रशासन समय समय पर अभियान चलाकर इस जाम की समस्याओं से निपटने के लिए हाथ बढाता है लेकिन कुछ दूरी चलने के बाद ही सरकारी मशीनरी घुटने टेक जाती है।
गुरुवार को हापुड़ अड्डे पर अतिक्रमण हटाने और जाम से मुक्त कराने गई ट्रैफिक पुलिस की टीम से स्थानीय व्यापारियों ने हाथापाई भी की। विवश होकर टीम को वापस आ जाना पड़ा। कुछ लोग अपनी राजनीति चमकाने और स्थानीय व्यापारियों की सहानुभेति पाने के लिए उऐसा करते हैं। काश! यही काम वह सरकारी मशीनरी के लिए करें। आखिर यह तो सोचना ही पड़ेगा कि जाम और अतिक्रमण से मुक्त शहर बने, तो इसका लाभ किसे होगा? ग्राहक भी ऐसी बाजार या दुकान पर ही जाना पसंद करता है, जहां जाम न लगा हो। अधिकारी, वह किसी भी विभाग के हों, उनसे अभद्रता का अधिकार किसी को नहीं है। यदि वह कोई अनुचित काम करते हैं तो उनकी शिकायत उनसे बड़े अधिकारी से करने का अधिकार है हमारे पास। आखिर शहर साफ-सुथरा रहेगा तो इसका लाभ शहर में रहने वालों को ही होगा। अधिकारी तो आज हैं, कल नहीं। अतिक्रमण और जाम से जब तक स्थानीय लोग मदद नहीं करेंगे, शहर यों ही जाम और अतिक्रमण का शिकार बनाप रहेगा। ऐसा करने के लिए शहर के गणमान्य लोगों को ही आगे आना चाहिए। हम शहरवासियों को ही आगे बढकर पुलिस-प्रशासन के साथ मिलकर समस्या से निपटना होगा। दुकानदारों व छोटे-बडे व्यापारियों ने भयावह अतिक्रमण कर कब्जा किया हुआ है। शहर की मुख्य सडकें अपेक्षाकृत काफी चौड़ी व लंबी हैं लेकिन अतिक्रमण व अवैध कब्जों की समस्या ने शहर का नक्शा ही बदहाल कर दिया है। आज कोई भी मार्ग या बाजार ऐसा नहीं, जहां जाम न दिखाई देता हो और लोग घंटों न परेशान होते हों। इसमें मरीज को ले जा रही एंबुलेंस भी फंसी रहती हैं। जब सड़क खाली हो तभी वह निकलती हैं। इसमें हमारे-आपका करीबी या परिवार को भी कोई मरीज हो सकता है। इससे बचने की जरूरत है।
बेगमपुल रोड, दिल्ली रोड, हापुड रोड, ईव्ज चौक, बच्चा पार्क आदि शहर की मुख्य जगह हैं। जहां पर व्यापारियों ने दुकान के बाहर अपने सामान को सजा कर रखा हुआ है। इलेक्ट्रानिक्स, गारमेंटस आदि का व्यापार करने वाले व्यापारियों ने कई दुकान से कई फुट बाहर तक सामान फैलाकर रखा हुआ है। कचहरी, बेगमपुल, हापुड अड्डा आदि जगहों पर दुकानों व प्रतिष्ठानों के बाहर अधिकतर पार्किंग सडकों पर होती है। यही कारण है कि आए दिन रोजाना मुख्य सडकें जाम की गिरफ्त में जकडी रहती हैं। कुछ जगहों पर सडकों को ही पार्किंग में तब्दील कर दिया गया है।
यातायात पुलिस भी उदासीन, सख्ती भी जरूरी
जाम को लेकर ट्रैफिक पुलिस की ओर से तैयारियों की बात करें तो उनको देखकर भी नहीं लगता कि यातायात महकमे के पास भी जाम से निपटने के लिए कोई खास तैयारी है। आए दिन जाम से जूझ रहे शहर को राहत देने के लिए ट्रैफिक पुलिस अफसरों के पास कोई खास इंतजाम नहीं है। कल हापुड़ अड्डे पर जो कुछ हुआ, उसकी जिम्मेदार ट्रैफिक महकमे की भी है। वह जरूरी होम वर्क करके मौंके पर नहीं गई। जहां आवश्यक हो, वहां सख्ती करनी जरूरी है, वह चाहे किसी भी दल या वर्ग का हो। अधिकारियों को चाहिए कि वह प्लान तैयार करें और तब सड़कों पर उतरें, तभी कुछ लाभ हो सकता है। अंतत: यह समझना ही होगा कि पहले दंगे के बदनुमा दाग ने मेरठ को बदनाम किया और अब अतिक्रमण और जाम इसे बदनाम करने पर तुला है, इससे मुक्ति पाने का उपाय हमारे और आपके पास ही है, आगे आइए।
मेरठ शहर स्मार्ट सिटी की दौड में पीछे क्यों रह गया। उसका चाहे राजनैतिक कारण हो या कुछ और। शहर को स्मार्ट न बना पाने के कारण जाम, अवैध कब्जे की समस्या भी एक बड़ा कारण रहा है। सत्ता के आधा दर्जन लाल बत्ती वाले नुमाइंदे भी शहर को स्मार्ट सिटी का दर्जा न दिला सके।